
हैदर अली
पटना (संचारटाइम्स.न्यूज)

रेलवे स्टेशन सासाराम के दक्षिण एवं पुरानी जीटी रोड के उत्तर दिशा में रेलवे की भूमि पर कई दशकों से चल रहे लोक स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यालयों को खाली करने के लिए ईस्ट सेंट्रल रेलवे के मुगलसराय स्थित डीआरएम कार्यालय ने एक नोटिस भेजा है। रेलवे द्वारा भेजी गई नोटिस ने पीएचईडी विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी है और शहर वासियों को भी अब पेयजल संकट का डर सताने लगा है। पीएचईडी विभाग को भेजे गए नोटिस में रेलवे ने कहा है कि रेलवे की भूमि पर अनाधिकृत कब्जा कर लोक स्वास्थ्य विभाग, सासाराम के कई कार्यालय संचालित हो रहे हैं। रेलवे ने कारण बताओं नोटिस भी जारी किया है और पूछा है कि क्या विभाग आदेश में उल्लेखित अवधि के भीतर रेलवे परिसर को खाली कर सकती है?
पीएचईडी एवं रेलवे में एग्रीमेंट
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई दशक पूर्व रेलवे एवं पीएचईडी विभाग द्वारा पेयजल को लेकर एक एग्रीमेंट किया गया था। जिसके तहत रेलवे ने पेयजल उपलब्ध कराने के एवज में अपनी जमीन पीएचईडी विभाग को लीज पर सौंप दी थी, लेकिन अब यही भूमि रेलवे के विस्तारीकरण योजना में बाधक बन रही है, जिसको देखते हुए रेलवे ने अब पीएचईडी विभाग को नोटिस भेजकर परिसर को खाली करने का आदेश जारी किया है।
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया
पूरे मामले में पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता नंदकिशोर प्रसाद ने बताया कि जमीन को खाली करने के लिए रेलवे के दो-तीन नोटिस प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के वरीय पदाधिकारीयों को पत्राचार कर समस्याओं से अवगत कराया गया है और रोहतास जिलाधिकारी को भी पूरे मामले की जानकारी दी गई है।
शहर में गहरा सकता है पेयजल संकट
वहीं रेलवे के इस नोटिस ने पीएचईडी के साथ-साथ शहर वासियों के समक्ष भी एक बड़ी समस्या उत्पन्न कर दी है। बता दें कि लगभग 6 दशकों से रेलवे की इस भूमि पर लोक स्वास्थ्य विभाग के कुल चार कार्यालय संचालित हो रहे हैं। रेलवे की भूमि पर संप हाउस समेत जल मीनार व विभागीय कर्मियों के आवास बने हुए हैं। साथ हीं उक्त परिसर से हीं सासाराम शहर में पेयजल आपूर्ति कार्य पूरी तरह से नियंत्रित होता है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि अगर रेलवे अपनी भूमि को खाली कराता है तो शहर में पेयजल आपूर्ति की समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है। हालांकि अब देखना होगा कि रेलवे की नोटिस के बाद पीएचईडी विभाग क्या कुछ कदम उठाती है और रेलवे को अपनी भूमि खाली कराने में कितना वक्त लगता है।
