चुनावी रुझानों से यह स्पष्ट हो रहा है कि बीजेपी फिर से बढ़त बना रही है
ST.News Desk : हरियाणा में विधानसभा चुनावों के परिणामों ने एक बार फिर से कांग्रेस को निराश किया है। बीजेपी की सत्ता में वापसी की संभावनाओं के बीच कांग्रेस अब अगले पांच साल तक सत्ता का सपना देखने को मजबूर है। चुनावी रुझानों से यह स्पष्ट हो रहा है कि बीजेपी फिर से बढ़त बना रही है, जबकि कांग्रेस ने चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की 2014 में अप्रत्याशित जीत के बाद, 2019 में उनकी जन आशीर्वाद यात्रा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाल ही में नायाब सिंह सैनी की ताजपोशी को एंटी इनकमबेंसी के खिलाफ एक कदम के रूप में देखा गया, जो उत्तराखंड और गुजरात में बीजेपी द्वारा अपनाए गए रणनीतिक प्रयोगों का हिस्सा है।
बीजेपी की सफलता का मुख्य कारण नरेंद्र मोदी का चेहरा और ‘डबल इंजन’ की राजनीति हो सकती है। हालाँकि, सैनी की छवि चुनावी बैनरों में अधिक दिखाई दी, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या उनकी कार्यशैली का भी कोई प्रभाव पड़ा।
1980 में अपनी स्थापना के बाद से बीजेपी हरियाणा में लगातार उतार-चढ़ाव देखती रही है। 2014 में पार्टी ने 47 सीटें जीती थीं, जबकि 2019 में उनका वोट शेयर बढ़कर 36.7% हो गया, लेकिन सीटें कम हो गईं।
इस बार विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवाल उठाने के बजाय चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं पर निशाना साधा है। कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर परिणामों के अपडेट में देरी का मुद्दा उठाया, जिस पर चुनाव आयोग ने इन्हें निराधार बताया है।
हरियाणा के चुनाव परिणामों ने एग्जिट पोल के अनुमानों को भी गलत साबित कर दिया है, और अब देखना होगा कि बीजेपी का यह जीत का क्रम आगे कैसे चलता है।