crossorigin="anonymous"> सासाराम रेलवे स्टेशन पर कड़ाके की ठंड से बचने के लिए खुद से लकड़ी खरीदकर लोग ले रहे हैं अलाव का सहारा - Sanchar Times

सासाराम रेलवे स्टेशन पर कड़ाके की ठंड से बचने के लिए खुद से लकड़ी खरीदकर लोग ले रहे हैं अलाव का सहारा

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ठंड का असर यह है कि लोग दिन-प्रतिदिन परेशान हैं और देर रात ट्रेन से उतरने वाले यात्री भी ठंड से बचने के लिए अलाव के पास जमा होते हैं

स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक भी जिलाधिकारी से मांग कर रहे हैं कि स्कूल के समय में किया जाए बदलाव

हैदर अली
रोहतास ब्यूरो (संचारटाइम्स.न्यूज)

सासाराम रेलवे स्टेशन पर इस समय कड़ाके की ठंड का सामना करने वाले लोग अपनी-अपनी व्यवस्था से अलाव जलाकर रात बिता रहे हैं। स्टेशन परिसर में कामकाजी लोग जैसे कार और बाइक स्टैंड के कर्मचारी, दुकानदार और अन्य श्रमिक अपनी ओर से लकड़ी खरीद कर आग जलाते हैं, ताकि ठंड से बच सकें। पहले जहां रेलवे और जिला प्रशासन द्वारा जगह-जगह अलाव की व्यवस्था की जाती थी, इस बार किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ठंड इतनी तेज हो गई है कि लोग रात में जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, खासकर वे यात्री जो देर रात ट्रेन से उतरते हैं।

रेलवे स्टेशन के आसपास दुकानें लगाने वाले, रिक्शा, ठेला और ऑटो ड्राइवर भी इस ठंड से परेशान हैं। वे अपनी ओर से जलावन खरीदकर आग जलाकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वर्तमान में तापमान लगभग 8 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे गिर चुका है, जिससे ठंड का प्रकोप और बढ़ गया है। इस ठंड में खासतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चे भी परेशान हैं। सुबह सवेरे घने कोहरे में बच्चे स्कूल जाते देखे जा रहे हैं, और अधिकांश निजी विद्यालय 8:30 बजे से खुल रहे हैं।

स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक जिलाधिकारी से मांग कर रहे हैं कि स्कूल के समय में बदलाव किया जाए या फिर कुछ दिनों के लिए स्कूल बंद कर दिए जाएं, क्योंकि ठंड इतनी अधिक है कि सुबह-सुबह स्कूल जाने में काफी दिक्कत हो रही है और कक्षाओं में भी ठंड महसूस हो रही है। वहीं, कामकाजी लोग अपनी ओर से आग जलाकर ठंड से राहत पाने की कोशिश कर रहे हैं। तापमान की स्थिति ऐसी है कि जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है।

लोगों का कहना है कि पिछले साल प्रशासन ने अलाव की व्यवस्था की थी, लेकिन इस बार ऐसी कोई पहल नहीं की गई है। ठंड के इस दौर में, आग ही लोगों के लिए एकमात्र सहारा बन गई है।


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