crossorigin="anonymous"> नेपाल में बाढ़-भूस्खलन से अबतक 200 मौतें - Sanchar Times

नेपाल में बाढ़-भूस्खलन से अबतक 200 मौतें

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नेपाल में लगातार जारी भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ़और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या सोमवार को बढ़कर लगभग 200 हो गई। राहत और बचाव अभियान लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। पुलिस ने यह जानकारी दी। पिछले शुक्रवार से लगातार हो रही बारिश के कारण हिमालयी राष्ट्र में तबाही मच गई है। मायरिपब्लिका समाचार पोर्टल ने सशस्त्र पुलिस बल के हवाले से बताया कि लगातार बारिश, बाढ़, भूस्खलन और बाढ़ में 200 लोग मारे गए हैं। इसने कहा कि इस आपदा में देश भर में 89 लोग घायल भी हुए हैं, जबकि 33 अन्य लापता हैं।


सिंह दरबार स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को कार्यवाहक प्रधानमंत्री प्रकाश मानंिसंह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भारी बारिश के कारण आई आपदा के दौरान बचाव, राहत और पुनर्वास प्रयासों को तेज करने का निर्णय लिया गया।
गृह मंत्रालय ने कहा कि बाढ़ और भूस्खलन के बाद राहत कायरें के लिए सभी सुरक्षा एजेंसी को तैनात किया गया है और नेपाल सेना, नेपाल पुलिस एवं सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों ने अब तक लगभग 4,500 आपदा प्रभावित व्यक्तियों को बचाया है। घायलों का मुफ्त उपचार कराया जा रहा है और बाढ़ से प्रभावित अन्य लोगों को भोजन और अन्य आपातकालीन राहत सामग्री प्रदान की गई है। भूस्खलन के चलते प्रमुख राजमागरें के अवरुद्ध होने के कारण देश के अन्य जिलों और भारत से सब्जियों की आवक अस्थाई रूप से बाधित हुई है जिससे कीमतें भी बढ़ गई हैं। ‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के अनुसार, पूरे देश में कई सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं और राजधानी काठमांडू की ओर जाने वाले सभी मार्ग अब भी अवरुद्ध हैं जिससे हजारों यात्री फंसे हुए हैं। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषिराम तिवारी ने कहा कि यातायात बहाल करने के लिए बाधित राजमागरें को साफ करने के प्रयास जारी हैं। ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) में कहा गया है कि शुक्रवार और शनिवार को पूर्वी और मध्य नेपाल के बड़े हिस्से में लगातार बारिश के बाद काठमांडू की मुख्य नदी बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। शनिवार को खबर में कहा गया कि असाधारण रूप से तीव्र बारिश का कारण ‘बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र’ और ‘मानसून ट्रफ’ था। ‘मानसून ट्रफ’ पाकिस्तान के निचले हिस्से से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ कम दबाव वाला क्षेत्र है। इसके कारण हिमालय पर्वतमाला के पूर्व-पश्चिमी भाग और खासी-जयंतिया पहाड़ियों के उत्तर-दक्षिण भाग में असामान्य वष्रा हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया भर में वष्रा की मात्रा और समय में बदलाव हो रहा है और बाढ़ के प्रभाव में वृद्धि का एक प्रमुख कारण पर्यावरण की स्थिति में बदलाव है जिसमें विशेष रूप से बाढ़ के मैदानों में गैर नियोजित निर्माण बड़ी वजह है। इसके चलते पानी के ठहराव और निकासी के लिए पर्याप्त जगह नहीं बचती।


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